Total Solar Eclipse 2024: Aditya L1 Witnessing the Solar Eclipse from Space
भारत का अपना अंतरिक्ष यान, Aditya L1, एक अनोखे अंतरिक्ष अभियान की तैयारी में जुटा हुआ है! 8 अप्रैल को होने वाले Total Solar Eclipse 2024 के दौरान, जब चंद्रमा सूर्य को थोड़ी देर के लिए ढक लेगा और उत्तरी America के कुछ हिस्सों में अंधेरा छा जाएगा, उसी समय Aditya L1 इस खास खगोलीय घटना को बारीकी से देखेगा.
लेकिन जरा सोचिए, Aditya L1 पृथ्वी से तो बहुत दूर अंतरिक्ष में है, फिर वो कैसे इस ग्रहण को देख पाएगा? दरअसल, Aditya L1 को सूर्य के चारों ओर एक खास कक्षा में स्थापित किया गया है, जिसे Lagrange Point 1 (L1) कहा जाता है. इस खास स्थिति से Aditya L1 को हर समय सूर्य का पूरा नज़ारा मिलता है. यानी Total Solar Eclipse के दौरान भी, जब चंद्रमा पृथ्वी से सूर्य को ढक लेगा, तब भी Aditya-L1 को सूर्य का अदृश्य बाहरी हिस्सा, जिसे कोरोना कहते हैं, देखने में सक्षम होगा.
Total Solar Eclipse के इस खास पलों का अध्ययन कर वैज्ञानिक सूर्य के बारे में नया ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे. इससे हमें सूर्य के मौसम को समझने और उसके पृथ्वी के वातावरण को प्रभावित करने के तरीके को जानने में मदद मिलेगी.
तो 8 अप्रैल को भले ही हम भारत में सूर्यग्रहण न देख पाएं, लेकिन हमारा Aditya-L1 अंतरिक्ष यान इस अद्भुत खगोलीय घटना का गवाह बनेगा और हमें सूर्य के बारे में अनोखी जानकारी देगा!
Total Solar Eclipse 2024 from Lagrange Point 1
अपनी यात्रा की शुरुआत धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर Lagrange Point 1 (L1) से करते हुए, Aditya-L1 यान अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है. इनमें से छह खास उपकरण सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के बदलावों को रिकॉर्ड करने के लिए तैयार हैं. इनमें से दो सबसे महत्वपूर्ण उपकरण हैं – The Visible Emission Line Coronagraph (VELC) और The Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT). ये हाई-टेक उपकरण ग्रहण के दौरान सूर्य के छिपे रहस्यों को उजागर करने के लिए तैयार हैं, मानो सूर्य थोड़ी देर के लिए एक ग्रहण-पट्ट पहने हुए हो!
Aditya L1 Mission: Unveiling the Cosmic Drama of Solar Exploration
Aditya-L1 मिशन के अंतरिक्षीय नाटक में, दो खास उपकरण – कोरोनाग्राफ और the Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) – सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. हर एक उपकरण का अपना अलग काम है.
कल्पना कीजिए, कोरोनाग्राफ एक अंतरिक्ष जादूगर की तरह काम करता है. ये अंतरिक्ष यान के अंदर ही सूर्यग्रहण जैसा माहौल बना देता है. ऐसा वो सूर्य के प्रकाश को रोककर करता है. इससे सूर्य की बाहरी परत, जिसे कोरोना कहते हैं, दिखाई देने लगती है. इस तरह हम पहली बार कोरोना के रहस्यों को गौर से देख पाएंगे. वहीं दूसरी तरफ, the Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) सूर्य के प्रकाशमंडल (Photosphere ) और वर्णमंडल (Chromosphere ) को निहारता है और उन्हें पराबैंगनी किरणों में खूबसूरत तस्वीरों में कैद करता है.
लेकिन असली मजा तब आता है, जब असली सूर्यग्रहण होता है. चांद जब सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है, तो कोरोना दिखाई देने लगता है. अंधेरे के उस छोटे से पल में कोरोना की चमकदार परतें खिल उठती हैं. ये खगोलीय नजारा धरती से सिर्फ कुछ ही सेकंड के लिए दिखाई देता है और हमें सूर्य के छिपे हुए हिस्से को देखने का दुर्लभ मौका देता है.
“सूर्यग्रहण हमें एक अनोखा अवसर देता है कि हम सूर्य को अंतरिक्ष से और धरती से, दो अलग-अलग नजरिए से देख सकें. Aditya L1 और धरती पर लगे दूरबीनों से मिलने वाले आंकड़ों को मिलाकर, हम सूर्य के बारे में बहुत कुछ नया सीख पाएंगे,” ऐसा बताते हैं प्रोफेसर दुर्गेश त्रिपाठी, जो Aditya L1 के the Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) के प्रमुख वैज्ञानिक हैं.
Aditya L1: Pioneering Solar Exploration from Lagrange Point 1
2023 में पृथ्वी से निकलने के बाद, Aditya-L1 नाम का अंतरिक्ष यान एक अद्भुत यात्रा पर निकला था. इस साल की शुरुआत में वो अंतरिक्ष के एक खास बिंदु, Lagrange Point 1 पर पहुंच गया. अब वो वहां अपनी कक्षा में चक्कर लगा रहा है और वैज्ञानिकों के निर्देश पर काम करने के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है.
अत्याधुनिक उपकरणों से लैस Aditya-L1 ने देर किए बिना कुछ नया खोज निकालना शुरू कर दिया. फरवरी में इसने पहली बार सूर्य से निकलने वाले Coronal Mass Ejections के प्रभाव का पता लगाया. ये सूर्य से जुड़ी एक रहस्यमयी घटना है. इसके अलावा, जनवरी में यान से 6 मीटर लंबा मैग्नेटोमीटर बूम तैनात किया गया, जो इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि है.
सूर्य के कोरोना से लेकर फोटोस्फियर तक, हर एक तत्व को ध्यान से विश्लेषित करने के लिए तैयार, Aditya-L1 हमें हमारे सूर्य और सम्पूर्ण सौरमंडल की समझ में क्रांति लाने वाला है। यान के उपकरण लगातार शानदार एक्स-रे तस्वीरें और कणों की जानकारी भेज रहे हैं. इससे ये साफ है कि Aditya-L1 ज्ञान की इस महायात्रा के लिए पूरी तरह तैयार है!
Solar Showdown: Aditya L1 and Solar Orbiter Unite for Rare Eclipse Observations
आने वाले अद्वितीय Total Solar Eclipse का दुनिया भर में उत्सुकता से इंतजार किया जा रहा है। मगर सिर्फ भारत का Aditya-L1 ही सूर्य को नहीं देखेगा. यूरोप का सोलर ऑर्बिटर यान भी इस खगोलीय घटना में अहम भूमिका निभाएगा.
4 अप्रैल को ये यान सूर्य के बहुत करीब पहुंचा था और अब Total Solar Eclipse को देखने के लिए अपने उपकरणों को तैयार कर रहा है. Aditya-L1 के बजाय, सोलर ऑर्बिटर हमें सूर्य को एक विशेष कोण से देखने की स्थिति में ले जा सकता है। इससे हमें सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना कहते हैं, की बनावट को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. यानी धरती से हम सूर्य को दायीं ओर से देखते हैं, वहीं ये यान उसे सीधे सामने से देख सकेगा. इससे हमें सूर्य के बारे में पहले कभी न जानी गई जानकारी मिल सकती है.
यह Total Solar Eclipse 2024 दुनिया भर के खगोलविदों को एक साथ मिलकर काम करने का एक अनोखा मौका दे रहा है. वे धरती पर स्थित वेधशालाओं और अंतरिक्ष यानों से मिलने वाले आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे. इस तरह से मिलकर काम करने से वैज्ञानिक सूर्य से जुड़े रहस्यों को सुलझा पाएंगे और ये जान पाएंगे कि हमारा Solar System कैसे चलता है.