NCPCR's Investigation
Is Bournvita Healthy? National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR), बच्चों के संरक्षण की राष्ट्रीय आयोग ने पूरी जाँच की और पाया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 और उसके नियमों के तहत “हेल्थ ड्रिंक” की श्रेणी को अभी तक स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, जैसा कि FSSAI और मोंडेलेज इंडिया दावा करते हैं.
Is Bournvita Healthy?
Is Bournvita Healthy? बड़ी बात है! बच्चों के लिए अक्सर पौष्टिक बताया जाने वाला Bournvita जैसा चॉकलेटी ड्रिंक अब “Health Drink” नहीं कहलाएगा. ये इसलिए हुआ क्योंकि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली संस्था (NCPCR) ने पाया कि खाने के नियम (FSS Act) में कहीं नहीं लिखा है कि “हेल्थ ड्रिंक” असल में होता क्या है.
Government's Directive to E-commerce Companies
इस जाँच के बाद, सरकार ने 10 अप्रैल को online सामान बेचने वाली कंपनियों को एक अहम निर्देश दिया. ये निर्देश है कि वो अपनी वेबसाइट से “हेल्थ ड्रिंक” नाम की कैटेगरी ही हटा दें.
FSSAI's Stance
सरकार का ये फैसला खाने के नियम बनाने वाली संस्था (FSSAI) की भी राय से मेल खाता है. FSSAI ने भी थोड़े समय पहले ही online कंपनियों को ये बताया था कि वो दूध, अनाज या जौ से बने Drinks को “हेल्थ ड्रिंक” या “एनर्जी ड्रिंक” बताकर बेचना बंद कर दें. असल में, FSSAI का कहना है कि खाने के नियमों में इन शब्दों को कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है.
Conclusion: Protecting Consumer Rights
कुल मिलाकर, ये सरकार और FSSAI का ये कदम बच्चों को सही जानकारी देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है. अब जब आप online shopping कर रहे हों, तो “हेल्थ ड्रिंक” कैटेगरी न ढूंढें, बल्कि सीधे तौर पर दूध पाउडर, अनाज या जौ जैसे प्रोडक्ट्स ही खोजें.
NCPCR's Advocacy
बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली संस्था (NCPCR) ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है. पिछले महीने, National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) के प्रमुख प्रियंका कानूनगो ने समाचार पत्रों के मुताबिक, वाणिज्य मंत्रालय, FSSAI और कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपभोक्ता मामलों के विभाग को चिट्ठी लिखी. इन चिट्ठियों में कानूनगो ने इस बात की मांग की कि Bournvita जैसे पेय पदार्थों को “हेल्थ ड्रिंक” बताकर बेचना बंद कर दिया जाए.
यह कदम NCPCR की इस कोशिश को दिखाता है कि बाजार में सामानों को सही कैटेगरी में रखा जाए और उपभोक्ताओं को गलत जानकारी न दी जाए.